क्या उर्दू नामक कोई भाषा संसार में है?
जापान में अंग्रेजी- नहीं चलेगी, नहीं चलेगी
इस लेख को पढ़ ने से पहले कृपया ये प्रश्न स्वय से करे की क्या आपने कभी किसीको उर्दू बोलते हुए देखा है? यदी हा तो ये निश्चित है की उर्दू सुनने में हिंदी जैसी ही लगती है केवल कुछ उटपटांग शब्द उर्दू में आते है!
जैसे की
हिंदी
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उर्दू
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नेताजी का ‘देहांत’ हो गया
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नेताजी का ‘इंतकाल’ हो गया
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मै आपकी ‘प्रतीक्षा’ कर रहा था
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मै आपका ‘इंतजार’ कर रहा था
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‘परीक्षा’ कैसी थी?
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‘इम्तिहान’ कैसा था?
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आपके रहने का ‘प्रबंध’ हो चूका है
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आप के रहने का ‘इंतजाम’ हो चूका है
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ये मेरी ‘पत्नी’ है
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ये मेरी ‘बीबी’ है
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मै ‘प्रतिशोध’ की आग में जल रहा हु
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मै ‘इंतकाम’ की आग में जल रहा हु
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ये उधाहरण देख कर आप समझ गए की उर्दू की रचना का कंकाल (Skeleton) हिंदी से आया है, केवल हिंदी के स्थान पर अरबी शब्दों का उपयोग किया गया है!
जब आप अधिक अध्ययन करेंगे तो ये पता चलेगा की उर्दू नामक कोई भाषा ही नही है! वो तो एक बोली है,, हिंगलिश जैसी!
भाषा वो होती है जिसे व्याकरण होता है अपना एक शब्दकोष होता है! भाषा लिखने का एक माध्यम हो सकती है, किन्तु कोई बोली, भाषा का स्थान नही ले सकती क्यों की उसे ना तो व्याकरण होता है ना तो शब्द कोष!
ठीक वही बात उर्दू और हिंग्लिश के लिए लागु होती है! ये दोनों एक भेल पूरी जैसी बोलिय है जिन्हें अपना कोई शब्द कोष अथवा व्याकरण नही है! उर्दू में ५०% शब्द हिंदी-संस्कृत के है, २५%अरबी, १०% फारसी, ५% चीनी-मंगोल और तुर्की तथा १०% अंग्रेजी है! अब आप ही बताइए एसी खिचडी बोली कभी कोई भाषा का स्थान ले सकती है?
उर्दू के विषय में आश्चर्य जनक जानकारी!
इस चित्र में आप मंगोल सैनिक छावनी अर्थात “ओरडू” (उर्दू इसका भ्रष्ट उच्चार है) का दृश्य देख रहे है! प्राचीन तुर्क-मंगोल वैदिक धर्म को मानते थे, इस लिए उनके सैनिक छावनी में आप “शीव का त्रिशूल” शास्त्र के रूप में देख सकते है! दूसरे छाया चित्र में मंगोल विजेता “चेंगिज खान” अपने “ओरडू” में सेना का निरीक्षण करते हुए!
ओरडू (http://translate.google.co.in/?hl=en&tab=wT#en/tr/army) कृपया इस दी गई कड़ी (लिंक) पर जा कर देखे, तो आप जान जाएँगे की तुर्की और मंगोल भाषा में इसका अर्थ है सेना अथवा सैनिक छावनी! हमे गाँधीया सॉरी इंडिया की गाँधी-नेहरु छाप सरकार बताती है की उर्दू नामक एक भारतीय मुस्लिमो की भाषा है!
क्या कभी सेना या सैनिक छावनी नामक कोई भाषा हो सकती है?
वो इस्लामी भाषा भी एक अमुस्लिम (Non Muslim) शब्द, ओरडू से (उर्दू) जो चीनी-मंगोल भाषी (मंगोल उर्फ मुघल अमुस्लिम (Non Muslim) थे तथा उनकी मंगोल-चीनी भाषा का इस्लाम की अरब परंपरा से कोई संबंध नही है http://www.facebook.com/media/set/?set=a.362525753836545.90016.100002373698075&type=3) है और जिसका इस्लाम से कोई संबंध नही! इस रहस्य का भेद हम आगे देखेंगे!
चेंगिज खान और उसका पोता हलागु खान ये इस्लाम के भारी शत्रु थे! जिन्होंने इस्लामी खिलाफत में घुसकर ५ करोड मुल्ला मुसलमानों की क़त्ल की थी! ये प्रतिशोध था क्यों की ६०० वर्षों से लगातार (९५० से १२५८) अरब मुस्लिमो द्वारा इन तुर्को और मुघलो को मुस्लिम बनाने के लिए उन पर अति भीषण आक्रमण किये जा रहे थे! इस से पीड़ित होकर प्रतिशोध भावना से ये तुर्क-मुघल टोलिया चेंगिज खान उर्फ तिमू जीनी के नेतृत्व में मुस्लिम प्रदेशो पर टूट पड़ी! आज भी इस्लामी जगत में चेंगिज खान को पाजी, लुटेरा, लफंगा इत्यादि नामो से मुस्लिम इतिहासकार विभूषित करते है!
इन तुर्क मंगोलों की भाषा में सैनिक छावनी को “ओरडू” कहा जाता था! आगे चल कर ये सारे तुर्क और मुघल अरब मुस्लिमो द्वारा छल बल से मृत्य की यातनाए देकर मुस्लिम बनाए गए! उन्हें तलवार की धार पर इस्लाम के अरब कारागार में तो लाया गया पर उनके मंगोल नाम बदल कर सब को अरबी नाम देना संभव नही था! क्योकि १ दिन में जब २ लाख या ५ लाख मुघलो को मुस्लिम बनया गया! उसका नियंत्रण रखना उन अरब मुस्लिमो को संभव नही था! इस लिए उन तुर्क-मुघलो में इस्लाम पूर्व कुछ संस्कार वैसे के वैसे रह गए! जैसे की खान उपनाम जो अमुस्लिम है!
जब कोई मुस्लिम बनता है तो उसे अरब आचार अपनाने पड़ते है! जैसे की महमद, अब्दुल, इब्राहीम, अहमद इत्यादि अरब नाम (जिन्हें लोग मुस्लिम नाम समझते है वो वास्तव में अरब नाम है)अपनाने पड़ते है! दिन में ५ बार अरब मातृभूमि की ओर माथा टेकना पड़ता है (फिर चाहे आप अरब नही हो तो भी)! इस प्रकार सारे तुर्क मुघल उनके इस्लामीकरण के उपरांत अरब देशो के उपग्रह से बन गए जिन्हें अपने आप में कोई अस्तित्व नही था!
अगले २०० वर्षों में ये इन मुगलों ने जो (जो २०० वर्ष पहले तलवार की नोक पर मुस्लिम बनाए गए थे) भारत पर आक्रमण किया! आश्चर्य इस बात का है की जिस इस्लामी जिहाद का रक्त रंजित संदेश जीन मुघल और तुर्को ने भारत के हिंदुओ पर थोपा वे स्वय भी उसी रक्त रंजित जिहाद के भक्ष बन चुके थे! किन्तु इस्लाम के मायावी जेल में जाने पर वो अपना सारा अतीत भूलकर अरब देशो के एक निष्ट गुलाम बन चुके थे!
इस तुर्क-मुघल आक्रमण काल में अनेक हिंदुओ को छल-बल से गुलाम बनाकर सैनिक छावनी (जिसे मंगोल भाषा में ओरडू अर्थात उर्दू) में लाया जाता था! उनपर बलात्कार किये जाते थे! उनकी भाषा जो की बृज भाषा, अवधी हिंदी थी पर प्रतिबंध लगाया जाता था! उन्हें अरबी भाषा (जो की इस्लाम की अधिकृत भाषा है) बोलने पर विवश किया जाता था! आप सोचिए यदी आप को कोई मृत्यु का भय दिखा कर चीनी भाषा में बोलने को कल से कहेंगे, तो क्या आप कल से चीनी भाषा बोल सकोगे?
नही!
ठीक यही बात उन हिंदी भाषी हिंदुओ पर लागु होती है! वो अरबी तो बोल न सके किन्तु भय के कारण उनकी अपनी मतृभाषा में अरबी शब्द फिट करने लगे ताकि अपने प्राण बचा सके! इस से एक ऐसे बोली का जन्म हुआ जो ना तो हिंदी थी ना तो अरबी! असकी वाक्य रचना तो हिंदी से थी किन्तु शब्द सारे अरबी, फारसी, तुर्की और चीनी थे! ज्यो की वो बोली उस सैनिक छावनी में भय के कारण उत्पन्न हुई इस लिए उसे ‘ओरडू” का नाम मिला! “ओरडू” का भ्रष्ट रूप है “उर्दू”!
आगे चल कर इस उर्दू नामक बोली में बहुत से अंग्रेजी शब्द भी आ गए जैसे की
अफसर = Officer
बिरादर = Brother
बोरियत = Boring
इत्यादि ........
मुघल और तुर्क इस भेल पूरी उर्दू नामक बोली को गुलामो की भाषा मानते थे, क्योकि वो अशुद्ध थी! मुघल दरबार की भाषा फारसी थी उर्दू नही! आप जानते है उस ओरडू में जो इन मुघलो के गुलाम थे वो कौन है?
वही जो आज अपनी भाषा उर्दू बताते है! वो हिंदु गुलाम ही आज के भारत के मुस्लिम है! गाँधी-नेहरु हमारे इतहास को गाली देते है (http://www.facebook.com/photo.php?fbid=351945808227873&set=a.341893109233143.83563.100002373698075&type=3&theater) की हिंदु इतहास १००० वर्ष गुलामी का इतिहास है! परंतु ये गुलामी का इतहास उन हिंदुओ का है जो आज १००० वर्ष इस्लाम के अरब कारागृह में सड रहे है! ये गुलाम हिंदु ही आज के भारत और पाकिस्तान के मुस्लिम है! जिन्हें अपने आप में कोई अस्तित्व नही है!
तुर्क, मुघलो को अरब मुस्लिमो ने इस्लाम में लाकर अपना गुलाम बनया! जब इन अरब के मुस्लिम गुलामो ने भारत पर आक्रमण किया तब उन्होंने हिंदुओ को अपना गुलाम बनाया, और अपने खान इत्यादि नाम उन पर थोपे, उनपर उर्दू (अर्थात सैनिक छावनी) में बलात्कार किये!
अर्थात स्पष्ट रूप से देखे तो भारत के मुस्लिम “गुलामो के गुलाम” है! वे ना तो अरब है ना तो मंगोल!
उर्दू एक भाषा है ऐसा प्रचार गाँधी ने किया! क्यों की वे “मुस्लिम एक राष्ट्र है” ऐसा मानते थे! इस लिए भारत के मुस्लिमो की एक भाषा हो यह देखकर उन्होंने उर्दू को “हिन्दुस्तानी” के नाम से प्रसिद्ध किया! महात्माजी गांधीजी अपने व्याख्यान में कहते थे, बादशाह राम, बेगम सीता तथा उस्ताद वसिष्ट (१)! इस प्रकार उन्होंने उर्दू को “हिन्दुस्तानी” के नाम से प्रसिद्ध किया! १९३५ तक तो उर्दू नामक कोई भाषा है इस तर्क से कोई परिचित भी नही था!
गाँधी-नेहरु को मानने वाली अल खान्ग्रेस भी उनके जैसी ही कट्टर है! किन्तु उनका ये सिद्धांत सम्पूर्णतहा असत्य सिद्ध हुआ की मुस्लिम एक राष्ट्र है! यदी वे एक राष्ट्र होते तो बंगलादेश पाकिस्तान से अलग नही होता!
कुछ लोग फेस बुक और अन्य स्थानों पर अपने भाषा ज्ञान में उर्दू को भी जोड़ते है! अर्थात Languages Known में आपने उर्दू को जोड़ा है, तो कृपया तुरंत हटाए, क्यों की यदी आप उसे अपने भाषा बताएँगे तो क्या आप उस ओरडू नामक गुलामो के जेल में थे?
संदर्भ सूचि:
१) ५५ कोटी चे बळी, गोपाळ गोडसे लिखित
Subject: अदालतों में अंग्रेज़ी की अनिवार्यता: हमारी ग़ुलाम मानसिकता का प्रमाण
विगत पांच वर्षों मैं , सरकारी इशारों पर सब चैनलों ने हिंदी का उर्दिकरण कर दिया है. कुछ बचे हुए चैनलों ने उसका रोमनीकरण कर दिया है. समाचार पढने वालों की पोशाक पहले सारी होती थी अब सब का पश्चात्याकरण कर दिया गया है. इसका मुख्या कारन चैनलों का मलिकत्व ही है. अब तो डिस्कवरी चैनल पर ही शुद्ध हिंदी सुनने को मिलती है .
पहले इसके विरोध मैं क्यों न आवाज़ उठायी जाये.
राजीव उपाध्याय
From: surendramohan mishra - drsmmishra@gmail.com;
Subject: Re: भारत की भाषाओं के अध्ययन की रूपरेखा एवं भाषाओं के विवरण के आधार
Prof. M S Jain has seemingly willfully taken away Samskrit from other 21 Indian languages in our constitution. Samskrit has always been a fact in India since her inception. Without Samskrit the other languages will be only thematically poorer and linguistically crippled. Mahavir and Buddha ,in their own times, took to Pali and Prakrit respectively but the later writers took recourse to Samskrit to produce great literature in Samskrit only. But where are Pali and Prakrit at present? According to some linguists in the West, no language except Samskrit lives beyond a period of 800 years ! If Prof. Jain is a scholar of Hindi, he must be accepting this fact that with a deep knowledge of Samskrit he could be doing his job more satisfactorily and with more authority than actually he is doing !
SMMishra
दंभी उदारता, ओढकर अपने मस्तिष्क को खुला छोडना नहीं चाहता कि संसार फिर उसमें कचरा कूडा फेंक कर दूषित कर दे। हमारे मस्तिष्कों को बहुत दूषित और भ्रमित करके चला गया है, अंग्रेज़।
If Lofty pronouncements on ancient India are not backed by knowledge of Sanskrit, then any scholarly work cannot be taken seriously on the topic of ancient Bhaarat - India. ------------
Many media people are trying to make proper Hindi words vanish or LUPT. Proper Hindi words are available still Hindi media people prefer to use Urdu or English words in Hindi. Some Examples are:
Wrong Word Proper Hindi Word
Muhaiyya Uplabdh
Naakaam Asafal
Ijaafaa Vridhi
Khaandaan Parivaar
Tahedil Hirdaya ki Gehri
Hidaiyat Nirdesh
Shikast Prajay
Aabohaava Vatavaran
Majboor Vivash
Shakshiyat Vyaktitatav
Bardaashat Sahan
Aajad Swantantra
Nizaat Chootkaaraa
Rehmat Daya
Khawaish Iccha
Sabak Paath/Shiksha
Saazish Shadyantar
Feesadi Pratishat
Dikkat Praishani
Zaria Sadhan/Dwara
There are several thousand Urdu words which are used in Hindi. Sad thing is that many saints and priests who are supposed to know proper Hindi use such Urdu words along with English words in Hindi. People who know proper Hindi should Telephone or send message by any means to media people that they should use proper Hindi words in Hindi.
For media people and General public
जापान में अंग्रेजी- नहीं चलेगी, नहीं चलेगी
http://www.bbc.co.uk/hindi/international/2013/06/130627_japanese_english_sk.shtml
जापान में एक दर्शक 'राष्ट्रीय प्रसारण' से बेहद ख़फ़ा है. उन्होंने अंग्रेजी शब्दों का ज्यादा इस्तेमाल करने पर प्रसारकों पर मुक़दमा दर्ज करवा दिया है.
यह दर्शक हैं 71 साल के होजी तकाअशी. उन्होंने राष्ट्रीय प्रसारण चैनल 'एनएचके' पर मानसिक रूप से परेशान करने के लिए 14 लाख येन की राशि की भरपाई की मांग की है.
होजी तकाअशी के वकील मुत्सुओ मियाता ने 'एएफ़पी' न्यूज़ एजेंसी को बताया, “तकाअशी को इस बात की ज्यादा चिंता है कि क्लिक करें जापान अमरीका बनता जा रहा है.”
अमरीकी कब्जा
द्वितीय क्लिक करें विश्व युद्ध के बाद अमरीका के नेतृत्व में क्लिक करें जापान में अंग्रेजी ज्यादा प्रचलित होने लगी.
यही नहीं, जापान के निवासी अमरीका के पॉप कल्चर के प्रति भी बेहद आकर्षित होते चले गए.
अब हाल यह है कि देश की आम बोलचाल की भाषा में अंग्रेजी के शब्दों ने तेज़ी सेक्लिक करें घुसपैठ कर ली. कई अंग्रेजी शब्द जापानी बोली में ढल गए हैं.
होजी तकाअशी जापानी भाषा के बड़े हिमायती हैं. वे जापानी भाषा को बढ़ावा देने वाले एक ख़ास ग्रुप के सदस्य भी हैं. 'जिंग्लिश'
तकाअशी ने समाचार और मनोरंजन से जुड़े राष्ट्रीय चैनल ‘एनएचके’ पर बोलचाल में इस्तेमाल हो रहे कई जिंग्लिश (अंग्रेजी और जापानी) शब्दों के कुछ उदाहरण भी दिए हैं.
उन्होंने ‘एनएचके’ पर आरोप लगाया है कि वह अंग्रेजी शब्दों को बदल कर जापानी लहजे में बोले जाने वाले शब्द ईजाद कर रहा है और उन्हें अपने कार्यक्रमों में बार-बार इस्तेमाल कर रहा है.
तकाअशी इन जिंग्लिश शब्दों को अपनाने से साफ़ इंकार करते है.
मियाता ने ‘द जापान टाइम्स’ को कहा, “जापानी समाज अमरीकीकरण का शिकार है. तकाअशी का मानना है कि ‘एनएचके’ समाज की इस प्रवृति को नकारते हुए अपनी प्राथमिकताएं तय करे. जापानी भाषा को अपने कार्यक्रमों में ज्यादा से ज्यादा जगह दे. जापानी संस्कृत्ति को बचाने में यह क़दम कारगर साबित होगा.”
शिकायत
द जापान टाइम्स’ के अनुसार तकाअशी ने जापान के चुबु इलाक़े के मंगलवार को नगोया जिला न्यायालय में अपनी शिकायत दर्ज कर दी है. दूसरी ओर एनएचके ने कहा है कि जब तक वह उन क़ानूनी दस्तावेज़ों को देख नहीं लेता, कोई टिप्पणी नहीं करेगा.
जापान की शब्दावली में कुछ अन्य विदेशी भाषाओं के शब्द भी मौजूद हैं.
कुछ ऐसा ही मामला फ्रांस में भी पाया गया है. परंपरावादी फ्रांसीसी लोग भी अपनी बोलचाल और मातृभाषा में अंग्रेजी शब्दों के बढ़ते इस्तेमाल से चिंतित हैं.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए क्लिक करें यहां क्लिक करें. आप हमें क्लिक करें फ़ेसबुक और क्लिक करें ट्विटर पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
In Bhaarat people prefer to use English words in Hindi. By doing so people think they are more educated.
Media people and general public should stop using Urdu and English words in Hindi.
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